Jyoti yadav 31 Jul 2023 कविताएँ समाजिक 🥀🙏अब चलना सिख रही हूं 🙏🥀 8297 0 Hindi :: हिंदी
बहुत लिखा चांद के लिए🥀 💐आज सुरज की बात करुंगी👌🙏 रातें तो बहुत देखीं आज🌙 सुबह की शुरुआत करुंगी🌻 नींद तो पूरी हुई नहीं ख्वाब मुकम्म💯ल करने का इरादा है जो चल पड़े रास्ते में तो लौटेंगे नहीं वादा है ♥️ चांद से शितलता🥀 तो सिखा है अब सुरज के तपना सिख रही हूं ✍️ जाग गई 💐अब चलना सिख रही हैं 🥀 इन्तजार है♥️ हमें सुनहरी धूप का रौशन जहां रौशन रुप का🌹 🥀कर्म के बगिया को अब सिंच रही हूं जाग गई अब❤️ चलना सिख रही हूं 💯 ( ज्योति यादव के कलम से ) कोटिसा , विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर 🙏✍️