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सच कहु तो अफ़शाना सी हैं

Rupesh Singh Lostom 16 Apr 2023 शायरी प्यार-महोब्बत अफ़शाना सी हैं 7346 0 Hindi :: हिंदी

सच कहु तो अफ़शाना सी हैं 
अपनों में बेगाना सी हैं 
तू रोज़ बदलती हैं मौशम सी 
सच कहु तू परवाने सी हैं 
जलती तू है रात भर सांमा बनके 
जलन मुझ में अंगारों सी हैं 

तू अजब है गजब है समभवत 
आशिको की कसम सी हैं 

क्यों न ऐसा करे तू आग मैं पानी 
या तू मुझे बुझा दे या 
मैं खुद ही बुझ जाऊ 

चलो अच्छा हुआ की दिल संभल गया 
क़त्ल होने से पहले बक्त बदल गया 
क्या पता तू मार ही डालती मुझे 
ये तो अच्छा हुआ की मैं मर गया 

ये भी होना ही था भरम टूटना ही था 
कौन मोहब्बत कर के मोहब्बत पाया हैं 
ये तो अच्छा हुआ की मौत हो गया 
वरना मोहब्बत में तो बेमौत ही होता

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