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मां की ममता-जब जना नारी ने बेटा था

Adesh Kumar 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मां की ममता। मुर्ख मां की ममता। hindi Kavita motivation, motivation Kavita in hindi,Kavita maa ki mamata, maa ki Kavita, maa pe Kavita 20281 4 4.5 Hindi :: हिंदी

एक मूरख नारी को कब,ना जाने किसने। लपेटा था।
ज्ञात हुआ तब लोगों को, जब जना नारी ने बेटा था।
कहने को वह मूरख थी, पर पुत्र प्रेम की क्षमता थी ।
आंचल में छुपाकर रखती थी उस मां में मां की ममता थी ।
करती ना कभी मां बेटे को अपने नैनो से ओझल थी ।
तड़प उठे एक पल में ही वह मन की इतनी कोमल थी ।
उस लाल पे जीती मरती थी उसे प्रेम बहुत वह करती थी।
छीन कोई ना ले उसको इसलिए जमाने से डरती थी।
ये दुनियां भी क्या दुनियां थी जो पुत्र छीनना चाहती थी।
उमड़ रही उस लाल पे जो उस ममता की वह धाती थी।
कोशिश नाकाम रही सारी ममता से कोशिशें हार गईं।
प्रयत्न किए लाखों थे पर हर प्रयत्न में बाजी मार गई।
आधी रात घोर अधियारा,
सो रही मां और आंख का तारा ।
सहिसा एक मनुज था आया उसने उसका लाल उठाया।
आने ना दी पग की कोई ध्वनियां आहिस्ता हर कदम बढ़ाया।
हर कदम में एक खामोशी थी हर कदम उठा था आहिस्ता।
ममता का हर बंधन तोड़ा जोड दिया गम से रिस्ता।
भोर भए एक मां बिलखी आंसू ना रुका उसके गम का ।
छलक गए मेरे आंसू देखी जो एक मां की ममता ।
          धन्यवाद

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ROHIT YADAV
ROHIT YADAV Best

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Sahity Live
Sahity Live

1 year ago

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Sahity Live
Sahity Live Nice

1 year ago

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Adesh Kumar
Adesh Kumar Ok

1 year ago

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