Jeevan kumar 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य जीवन एक साहित्य 78404 0 Hindi :: हिंदी
मित्रता मित्र रिश्ता भाई जैसा, रामलाल मित्र है कैसा। छठवीं कक्षा में हुई पढ़ाई, मुझसे आगे मित्र है भाई। देखन में वो छोटा लागे, उम्र है उसकी मुझसे आगे। दृढ़ संकल्प कार्य वो करता, मुझसे हमेशा आगे वो रहता। दास स्वामी का शिष्य हमेशा, दुख़ चिंतन को वो सहता। दर- दर भटकन वो जो करता, शंकर जी को यही न सहता। गुरु को हमेशा ईश्वर समझे, ज्ञान में वो आगे है हमसे। बोलन में वो मीठा बोले, राज समय के सबके खोले। आगे बढ़ना शिक्षक बनना, यही मित्र का काम है। है धैर्य भूमि के पुत्र, जीवन तुम्हारा संसार है। (जीवन) निष्कर्ष - यह कविता मेरे प्रिय दोस्त जिसका नाम रामलाल है उसके उपर बनाई हुई है । जो मातृ पितृ विहीन होकर किस प्रकार अपने जीवन में कठिनायों को सहन कर रहा है किस प्रकार यह भाई दुख सुख में हमेशा खुश रहता है और किस प्रकार मेरे जैसे छोटे भाई को हमेशा मोटिवेट करता है । इस भाई को हमेशा मोटिवेट करने में शंकर दास स्वामी जी का अहम योगदान है आज अगर वो नहीं होते तो सा य द यह भाई कभी अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता और न आगे बढ़ने की कोशिश करता । जिन गुरु के बारे में मैने निम्न नाम संबोधित शब्द कहे - दास स्वामी का शिष्य हमेशा, दुख़ चिंतन को वो सहता। दर- दर भटकन वो जो करता, शंकर जी को यही न सहता। जिसमे नीचे की लाइन में शंकर शब्द प्रयुक्त हुआ है उसके बाद प्रथम लाइन में दास स्वामी का प्रयुक्त हुआ है । जो पूरा हमारे गुरु का नाम शंकर दास स्वामी बनता है । लिखने में कुछ त्रुटि रह गई हो तो क्षमा करना । आपका अपना 🙏🙏🤝