Pradeep singh " gwalya " 17 Aug 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Pradeep singh gwalya 5250 0 Hindi :: हिंदी
एक पहर खुली आंखों से सपना तुम्हारा अगले पहर यादों की झांकियाँ, एक पहर शुद्ध लिखता जाता तुम्हें अगले पहर ढूंढू उसमें गलतियाँ। एक पहर तुम्हें पढ़कर खुश होता अगले पहर अपनी तेज धड़कनें गिनता मैं, एक पहर मन की गहराई में ले जाता तुम्हें अगले पहर वहीं बसाने तुम्हें सोचता मैं। ये हैं मेरे आठ पहर अब इससे ज्यादा क्या मैं करूं क्या तेरी ही याद में लिप्त रहूँ या फिर अगले आठ भी ऐसे करूं।। Pradeep singh gwalya आजकल समय की बहुत बड़ी समस्या है किसी के भी पास इतना समय नहीं है की वो किसी एक काम को करने के लिए प्रॉपर समय निकल पाए ।फिर भी इसे में यदि आप किसी इंसान को चाहने में अपने समय का एक बहुत बड़ा हिस्सा देते है या व्यतीत करते है या फिर खर्च करते हैं और इसे मैं वो इंसान आपके समय की कोई वैल्यू नही है ये जाता दे तो आप केसे जी पाएंगे आप उससे इतना प्यार करते हैं की आपने दुनिया की सबसे कीमती चीज खर्च कर दी और एक वो है की मानता नहीं । खैर जिस दिन भी उसे आपके सच्छे प्यार का पता चलेगा या फिर उसे जिस दिन भी महसूस होगा वो पक्का आपको मिलने दौड़ी चली आएगी ।ये तो थी एक बात पर यदि फिर भी उसे ये लगता है कि आप उसके लिए सही नहीं हैं या फिर कुछ और उसे फील होता है या फिर वो सोचती है की आप गलत है तो फिर आप अपने रास्ते को बिलकुल अलग कर सकते है और बिना किसी रुकावट के किसी इंपोर्टेंट काम को कीजिए इसे एक मोटिवेशन के रूप में लीजिए ताकि आप अगर एक जगह फेल हो गए है तो दूसरी जगह आपकी जीत पक्की हो जाए ।तो यदि आपको मेरी ये पंक्तियां अच्छी लगी हो तो आप इस बात को अमल में ला सकते हैं और मुझे अपने सुझाव के साथ सुभकामनाएं भेज सकते हैं।धन्यवाद।
pradeep singh "ग्वल्या" from sural gaon pauri garhwal uttarakhand . education:- doub...