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क्या देखूं दुनिया दारी-रुप अलग हैं रोज इसका

Chanchal chauhan 19 Jul 2023 शायरी अन्य क्या देखूं दुनिया दारी 5874 0 Hindi :: हिंदी

क्या देखूं दुनिया दारी,
रुप अलग  हैं रोज इसका,
जितना देखें कम हैं,
कठिन है समझना इसका।

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