Baba ji dikoli 06 Aug 2023 कविताएँ समाजिक Google/yahoo/Bing/twitter/facebook/instagram/blogger/sahity.com/kavita/gajal/shayri 6437 0 Hindi :: हिंदी
ये दोस्त ही है जो विन मतलब साथ निभाते है। कभी देकर जख्म खूब मुश्कुराते है। तो कभी खुद उन पर मरहम लगाते है। कभी ये पास में बैठे बिन मतलब मुश्कुराते है। हमारे ह्रदय की हर एक बात जान जाते है। और जो पूछो इन से तो स्वयं को अंतर्यामी बताते है। कभी बिन मतलब ही ये चोट पहुचाते है। और अगर दूजा कोई मारे तो उसे मारने पे उतर आते है। खून का संबंध नही होता इन से पर उस से भी अधिकनिभाते है विपदाओं को हरने के लिये ईश्वर स्वयं मित्र का वेश बनाते है। मित्रता वो है जिशके ऋणी स्वयं ईश्वर हो जाते है। मित्रता के लिए दानवीर कर्ण अधर्म पथ पर भी चल जाते है। मित्र -मित्र के लिए प्राण तक दे जाते है। मित्रता में नारायण भी नर का जूठा खाते है। मित्रता वश श्री कृष्णा पार्थ के सारथी बन जाते है। मित्रता सच्ची हो तो इतिहास बन जाते है। #babajidikoli