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सत्ता मद में चूर है

संदीप कुमार सिंह 30 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4758 0 Hindi :: हिंदी

सत्ता मद में चूर है,भूले अपना काम।
खाली लेते फायदा,चाहे हो बदनाम।।

सत्ता मद में चूर है,नेता नेता आज।
मौज ऐश में हैं लगे,करते कभी न लाज।।

सत्ता मद में चूर है,करते नहीं विकास।
जनता का शोषण करे,लेते सुख से श्वास।।

सत्ता मद में चूर है,पाले हुए घमंड।
सत्ता वाले जो करे,फिर भी मिले न दंड।।

सत्ता मद में चूर है,करे भला क्या खाक।
मनमानी करके बढ़े,ऊँचा रखते नाक।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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