Danendra 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 22575 1 5 Hindi :: हिंदी
हम मेहनत कर बीज से अन्न तक सफर कितना मुश्किल से कर पाते है। खुद भूखा पयासा रहकर,दूसरे का प्य्यास बुझाते है। Ac में बैठे आसो आराम फरमान देने वाले इतना शोषण कर , करोड़ो का घोटाला ना कर मेरे भी परिवार बीवी बच्चे है, दिहाड़ी मजदूरी तो समय पे दिया कर। एक दरखावश है मेरे बस परिवार का पेट भूखा न रख। हम तो है जो देश के मेहनत कर मजदूर ऐसे ही ना समझ हमें भारू एक मजदूर के मेहनत, रिस्क की कीमत तुम क्या जानो ,चालबाज, घोटालेबाज, ब्लैकमनी नेता, एसी खाने वाले बाबु
1 year ago