ब्राह्मण सुधांशु "SUDH" 30 Mar 2023 कहानियाँ प्यार-महोब्बत प्यार, मोहब्बत, इश्क़, जीवन 19187 0 Hindi :: हिंदी
सभी पाठकों से अनुरोध है यह कहानी मेरी कल्पना पर आधारित है इसका किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई भी संबंध नहीं हैं अतः इसे अन्यथा ना ले और कहानी द्वारा खुद का मनोरंजन होने दें! अमोल जो कि इसी वर्ष अपनी हाई स्कूल की परीक्षा जैसे तैसे पास करता है! रिश्तेदारों के ताने सुन कर तनाव मे आता है और फैसला लेता है कि इंटरमीडिएट मे प्रथम श्रेणी से पास होगा! अमोल अपने माता पिता को मनाता है और उनसे बरेली शहर मे जा कर अच्छे स्कूल मे पढ़ने की अनुमति लेता है! अमोल बरेली के एकता नगर मे आ कर किराए के रूम मे शिफ्ट होता है! एक दम नया शहर, नए लोग नयी भाषा नयी तरह की जीवनशैली इन सभी मे वो खुद को धीरे धीरे ढालता है! बरेली के नामी अंग्रेजी मीडियम के स्कूल मे एडमिशन लेता है, गांव का आया हुआ लड़का शहर के वातावरण को समझने की काफी कोशिशें करता है लेकिन वो उसमे ढल नहीं पाता है! स्कूल के विद्यार्थियों का सामान्य मज़ाक भी उसके दिल पर लगता है वजह थी उसका खुद को उन सभी से कमजोर समझना धीरे धीरे अमोल चुप सा होने लगा, बरेली मे तो कोई मित्र बना नहीं था लेकिन वो अपने परिवार से भी फोन पर बात नहीं करता था! स्कूल से रूम आता और पूरे दिन रूम मे रहता उसकी हालत कुएं के उस मेढक जैसी हो गयी थी जैसे कुआं ही मेढक की दुनिया है वैसे ही रूम ही उसकी दुनिया है! फिर एक दिन उसके मामा जी उससे मिलने आए, मामा जी अमोल को देख कर ही समझ चुके थे कि अमोल को शहर का वातावरण नुकसान कर रहा है! मामा जी समझाते है कि बेटा हम जैसा मान लेते हैं वैसा ही हम बन जाते है तुम खुद को कमजोर मत समझो कोई तुम्हारा दोस्त हो या ना हो भोलेनाथ तुम्हारे दोस्त हमेशा रहेंगे तुम उनको अपना सच्चा दोस्त मानो, हो सकता है मामा जी ने यह बात यूँही की हो लेकिन अमोल मामा जी की बातो को दिल से लगा बैठा था! अमोल रोज शाम को बरेली के अलखनाथ मंदिर जाने लगा, घंटो मंदिर मे बैठता और मन ही मन भोलेनाथ से बात करता उसके साथ दिन भर मे जो भी होता वो भोलेनाथ को बता देता! अमोल को मानो एक ऎसा दोस्त मिल गया था जिससे वह अपना हर दुख बिना किसी डर के बांट लेता था एक ऎसा दोस्त जो उससे कभी किसी चीज़ की डिमांड नहीं करता! धीरे धीरे अमोल सामान्य होने लगा एक अलग ही आत्मविश्वास उसके अंदर आ गया था, एक दिन स्कूल मे कुछ लड़के एक लडकी को छेड़ते है और अमोल बिना बात जाने उन लोगो से भिड़ जाता है अगले दिन अमोल स्कूल की लाइब्रेरी में बैठा पढ रहा होता है तभी वो लड़की आती है और अमोल को थैंक बोलती है, और दोस्ती का हाँथ आगे बढ़ाती है! अमोल के साथ बरेली मे ऎसा पहली बार हो रहा था जब कोई सामने से उससे दोस्ती करने के लिए बोल रहा हो अमोल ने बिना किसी देरी के हाँथ मिलाया और लड़की ने अपना नाम रिया बताया! अमोल अपना नाम बताने ही वाला था इतने मे रिया बोली और आप हैं अमोल सिंह यादव हरदोई से आए हैं, यूपी बोर्ड से हाई स्कूल पास किया है 35 प्रतिशत अंक के साथ? अमोल भौचक्की निगाहों से रिया की तरफ देखता है और पूछता है आप मेरे बारे में इतना कैसे जानती हैं! रिया हंसते हुए बोलती है, रिया दोस्ती सब कुछ जान लेने के बाद ही करती है बचपन से जासूसी का शौक पाल रखा है उसी का नतीजा है! रिया उसकी सीनियर थी और दोस्त भी अक्सर रिया अमोल के असाइनमेंट बनाने मे उसके नोट्स पूरे करने मे उसकी मदद करती रहती थी! धीरे धीरे अमोल का लगाव रिया को ले कर बढ़ता जा रहा था अमोल रिया को पसंद करने लगा था, रिया अगर अमोल के अलावा स्कूल मे किसी से बात भी कर ले तो अमोल को खराब लगता था! अमोल ने कई बार हिम्मत जुटा कर रिया से दिल की बात कहना चाही लेकिन वो उसके सामने आ कर बोल ही नहीं पाता! वजह थी खोने का डर उसे डर था कि कहीं रिया उसकी भावनाओं को ना समझ कर उसकी दोस्ती भी ना खत्म कर दे! इधर रिया के इंटरमीडिएट के एक्जाम आने वाले थे उसके कुछ ही दिन बचे थे स्कूलिंग के, कहीं ना कहीं रिया भी अमोल को पसंद करती थी लेकिन शायद अमोल की तरह उसे भी कुछ खोने का डर था! दिन बीतते जाते है रिया और अमोल की दोस्ती भी गहरी होती जाती है! एक दिन रोज की तरह अमोल अलखनाथ मंदिर जाता है और वहां महादेव की शिवलिंग के पास बैठ कर मन ही मन महादेव से बाते करता है! मित्र कल स्कूल मे फेयरवैल है कुछ दिन बाद रिया का इंटरमीडिएट पूरा हो जाएगा वो मुझसे दूर चली जाएगी कुछ भी करो कैसे भी करो मुझे उससे दूर मत करो मैं फिर से कुएं वाला मेढक नहीं बनना चाहता अगले दिन स्कूल की फेयरवैल मे दोनों मिलते हैं दोनों बाते करते हैं:- रिया :- शक्तिमान आज आखिरी दिन है यार स्कूल का जब स्कूल मे थी तब कभी कद्र नहीं की अब जब स्कूल छूट रहा है तब पता नहीं क्यूँ रोने का मन कर रहा हैं! अमोल ;- तो मत दो ना एक्जाम इस साल अभी मैं भी एक साल और हूं इस स्कूल मे दोनों इंटरमीडिएट के एक्जाम देंगे साथ मे! रिया:- चल बे मज़ाक कर रही थी बहुत मेहनत की है इस स्कूल से निकलने के लिए अब बस जल्दी जल्दी एक्जाम हो और मेरा स्कूल छूटे! अमोल :- अच्छा जी इतना परेशान थी स्कूल से आप रिया :- स्कूल से भी और सारे दोस्तो से भी अमोल :- मुझसे भी (धीमी आवाज में) रिया :- अरे हाँ मेरे चाचा तुझसे भी अब आज़ादी मिल जाएगी मुझे इस लाइफ से कॉलेज लाइफ की बात ही कुछ और है! अमोल :- ठीक है ऑल द बेस्ट फॉर योर एक्जाम रिया :- सेंटी ना हो यार मज़ाक कर रही थी आखिरी दिन है हंस ले थोड़ा, आज के दिन और झेल ले मुझे फिर नहीं करूंगी परेशान तुझे अमोल :- मै तो चाहता हूं सारी जिंदगी तू परेशान करे मुझे रिया :- मतलब अमोल :- मतलब कुछ नहीं(हंसते हुए) रिया;- चल ना कहीं घूम कर आते हैं आज की पार्टी मेरी तरफ से अमोल :- नहीं यार मूड नहीं है आज सावन का पहला सोमवार है और बारिश का मौसम भी है तो मुझे जल्दी जाना होगा भोलेनाथ के पास रिया:- टेंशन मत ले थोड़ा घूमेंगे मूवी देखेंगे फिर साथ चलेंगे तेरे भोलेनाथ के पास अमोल :- तू कब से भोलेनाथ के पास जाने लगी रिया :- आज से जाना शुरू करूंगी अमोल :- अच्छा चल फिर कहाँ चले पहले रिया :- पहले मूवी देखने चलते हैं बागी 2, तुझे पता है अपने स्कूल की हेड गर्ल दिशा पाटनी ने एक्टिंग की है उसमे अमोल:- अरे हाँ वो दिशा पाटनी बरेली की हैं ना रिया :- हाँ चल शो शुरू होने वाला है 6 बजे का अमोल :- ठीक है दोनों मूवी देखने जाते हैं फिर लौट कर भोलेनाथ के पास अलखनाथ मंदिर जाते हैं! दोनों घंटो वहां बैठते हैं बाते करते हैं और समय कहाँ बीत जाता है पता ही नहीं चलता! रिया :- चल अब घर चले 10 बज गए अमोल :- थोड़ी देर और( मन ही मन भोलेनाथ कुछ करो मत परेशान करो अपने दोस्त को, हिम्मत दो मुझे और ना मत सुनवा देना आज प्लीज़) इतने मे रिया का फोन बजता है, फोन घर से होता है रिया:- हां पापा आ रही हूँ बस मंदिर आई हूँ रिया :- चल अमोल पापा बुला रहे हैं मुझे अब जाना पड़ेगा अच्छा लगा आज तेरे साथ! रिया स्कूटी चालू ही करती है इतने मे बारिश शुरू होने लगती है! अमोल ;-( ख़ुश हो कर) क्या यार बारिश को भी अभी आना था( अंदर ही अंदर थैंक यू भोलेनाथ) रात के 10:15 बजे सावन की बारिश हल्की हल्की छन छन की बैकग्राउंड में आवाज और इतने मे घंटे की टन की आवाज़ जैसे ही अमोल को सुनायी दी वो समझ गया कि भोलेनाथ साथ है यही मौका है! अमोल:- रिया कुछ कहना था रिया :- कहिए प्रभु अमोल :- यार सिरियस बात है मज़ाक मत कर प्लीज़ रिया :- अच्छा ठीक है बोल अमोल :- यार कैसे कहूं समझ नहीं आ रहा है रिया:- एक काम कर मुझे बता पहले कि क्या कहना है फिर मै बता दूंगी कि कैसे कहना है तुझे अमोल;- यार तूने फिर मज़ाक किया रिया :- तो बोल ना मै कोई भूत हूं जो डर रहा है अमोल :- यार रिया :- हे भोलेनाथ आप ही आ जाओ इसकी तरफ से बोलने के लिए अमोल :- यार मै तुझे खोना नहीं चाहता रिया :- साफ साफ बोलने का कष्ट करेंगे आप अमोल:- मै तुझे हमेशा अपने साथ रखना चाहता हूं जिंदगी भर मुझे नहीं पता ये क्या है तेरे लिए बस जो भी है दिल से है और सच्चा है! रिया :- डरपोक अभी भी नहीं बोल रहा है कि प्यार करता है मुझसे अमोल :- तू समझ जा ना रिया :- समझ तो बहुत दिन पहले ही गई थी लेकिन इंतज़ार कर रही थी तेरे इज़हार ए मोहब्बत का अमोल:- तुझे पता था कि मै तुझसे प्यार करता हूं रिया:- हां बुद्धू और अगर तू नहीं बोलता तो थोड़ी देर बाद मैं ही बोलने वाली थी तुझे कि मै भी तुझसे प्यार करने लगी हूं! बरसात की वो रात रिया और अमोल के जीवन की सबसे यादगार रात थी समाप्ति