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सावन बिदाई

हुकम चन्द जैन 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मां के घर से पहले सावन में बेटी की विदाई 56736 0 Hindi :: हिंदी

सावन बीता थम गए सेरे 
गरजे बादल भादो बरसे 
गौरी गई ससुराल पिया संग 
डालन से खुल गए झूले |
          अब सुनी गलियन कौन निहारे 
           बरखा में सब बंद है द्वारे 
           मात -तात की गई दुलारी
           अखियां सूनी और मन भारी |
बाग है सूने नहीं है सखियां 
नहीं ठिठोली और वो बतियां 
एक दूजे से पूछे मन की 
कैसी बीती बिरह की रतियॉ |
             कैसे कहे किसे बताएं 
             रात जागरण उठे सवेरे 
             सावन बीता थम गए सेरे |
सहे विरह के पल अब बीते 
पल अब नहीं हमारे रीते
 साजन का प्यार भरा मनुहार
 जिसके लिए हम थे तरसे 
सावन बीता थम गए सेरे |

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