Manju Bala 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य बचपन दोस्ती माता -पिता , भाई -बहन मैं नारी हूँ , मैं नहीं हूँ अबला चर्चा प्यार दिल दोस्त शादी मोहबत दौलत नेगाहे मित्रता दिल्लगी दास्ताँ , 7857 0 Hindi :: हिंदी
उड़ने दो उन्हें खुले आसमान में फिर लौट कर वे ज़माने नहीं आते |जब माँ की ऊँगली पकड़ कर चलते होवे बहाने जीवन में फिर कभी नहीं आते |जब पापा के कंधों पर बैठ कर देखते है ज़माने कोवो हसीन लम्हें जीवन में फिर कभी नहीं आते|वो शैतानियाँ वो हँसी वो मस्ती वो बचपन की जोर जबरदस्ती वो जीवन में लौट कर फिर कभी नहीं आती |जी लो जी भरके ये लम्हें यारों क्योंकि ये प्यारे लम्हें जीवन में फिर कभी नहीं आते |उड़ने दो उन्हें खुले आसमान में फिर लौट कर वे ज़माने कभी नहीं आते |धन्यवाद
I have done M.A in three subjects these are Hindi ,History ,Political science. I have also done M.Ed...