Raj Ashok 18 Apr 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत दर्द,ये दिल की ज़ुबान । 6812 0 Hindi :: हिंदी
बहुत खुश देखा। हमने उन्हे उस दिन । जब वो अपने किसी, एक पूराने साथी से मिले। लगा रब से थी । आरजू यही । पर, रब ने,मन की मुराद अघूरी रख दी। मिले गले ,ऐसे ,जेसे मुदतों बाद मिले हों। आँखों से, इजहार हो रहा था। या दीदार हो रहा था। बेचैनी ,साफ कह रहीं थी । कुछ तो था। इन दिलों के बीचं । खामोशी से पुछ रहै थे ।एक दूजें से थे तुम कहाँ ? बहुत डूढाँ ,क्यों नहीं मिलें। तुम्हारी ऊमीद मे, आज ज़िन्दगी को किसी ओर से बांघ लिया । ना चाहते हुए। एक अजनबी से प्यार किया। अब सफर ना पूछँ , मेरे जीवन का ..... यो अपना बन के , देख मेरा दर्द ये ,दिल की जुबान है।