Poonam Mishra 22 Aug 2023 आलेख समाजिक बचपन को बचाना है 11527 0 Hindi :: हिंदी
आज न जाने क्यों? मन यह कह रहा है कि आज के बचपन को दादी नानी की कहानी की जरूरत है । मछलियों को पानी से ना निकालो क्योंकि इन मछलियों को पानी की जरूरत है । सभी कहानी मिल जाते हैं मोबाइलों में मुझे परंतु न जाने क्यों ? दिल यह कहता है कि बचपन को एक अच्छी कहानी की जरूरत है। जन्म लेने के पश्चात जिन्हें दवाओ पर पाला जाता है । दिल यह कहता है कि उन बच्चों को एक अच्छे बचपन की जरूरत है । बचपन खो गया कहीं इस आधुनिकता की दौड़ में ,मुझे भी फिर से बचपन में लौट आने की जरूरत है न जाने क्यों? ऐसा लगता है कि बच्चों का बचपन बहुत जल्दी खत्म हो जाता है । और वह समय से पहले ही बड़े हो जाते हैं जिसमें सबसे ज्यादा योगदान मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का है जो कि हर घर में बहुत ही आसानी के साथ आपको मिल जाएगा बच्चों का बचपन भी आधा से ज्यादा समय इन मोबाइलों के पास ही गुजरता है स्वाभाविक है किसी भी चीज की अति तो नुकसानदायक होगी होगी बच्चे उसमें क्या देखते हैं उससे क्या सीखते हैं उनके बाल मन पर इसका क्या असर पड़ता है इस पर हम सभी को सोचने की जरूरत है। और कैसे हम इस मोबाइल से अपने बच्चों को दूर करें फिर से पुरानी बचपन की तरह जैसे हम लोगों से मिलते जुलते थे । खेलते थे जैसे हमने अपना बचपन गुजारा है अपनी दादी नानी की कहानियां को सुनते हुए और उनसे ही कुछ सीखते हुए उसी तरह से इन बच्चों को भी उस बचपन में ले जाने की जरूरत है। नहीं तो भविष्य में इनकी मानसिक विकास पर क्या असर पड़ेगा इसके दुष्परिणाम हमें यदा-कदा दिखी रहे हैं हमें अपने बच्चों को इस आधुनिकता की दौड़ से कहीं न कहीं बचाने की जरूरत है। स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा