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अमृत ही रहना चाहती हूं-तुम मुझसे क्या कहोगे

Sudha Chaudhary 12 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 5667 1 5 Hindi :: हिंदी

तुम मुझसे क्या कहोगे?
मैं ही कुछ कह देती हूं
क्षण भर का रहा घना सागर
सहसा बना सरिता का जल
कभी कविता से हृदय बने थे
आज हृदय से तुम कविता
तुम्हारी मुस्कान कहां है
वह मधुर झंकार कहां है
रिक्त शुन्य उर्मि है
मेरा अब संसार कहां है?
अश्रु से कपोलें आर्द है
तार तम में धूप की एक प्यास है
ऊपर बिछा आकाश है
नीचे कंटकों  का हार है
मेरे जीवन में फिर से अवसाद है
कष्ट की जननी भी हूं
आत्मा की प्यास भी हूं
मैं प्रवाहित हो चुकी हूं
जाने किसकी धार हूं
कुछ तुम्हारा बन चुका है
कुछ तुम्हारे लिए ही है
क्यों तुम्हारी दृष्टि ने
पहले चुना था
प्रार्थना   में क्यों मेरा है संसार चुना था
विनय से मैं तुम्हारे योग्य
बनना चाहती हूं
मैं तुम्हारी सुधा
अमृत ही रहना चाहती हैं।

सुधा चौधरी 
बस्ती

Comments & Reviews

Sudha Chaudhary
Sudha Chaudhary कृपया बताएं की कविता अच्छी है या नहीं

8 months ago

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