Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 7668 0 Hindi :: हिंदी
कविता - ( खिलवाड़ ) वहशी ने किया शिकार ! हद कर दी सारी पार !! मानवता हुई शर्मसार ! इंसानियत हुई तार - तार !! शायद रोया होगा महाकाल ! नाम का तो रखता मान !! बाबुल घर कर दिया अंधकार ! यह आफ़ताब का कैसा किरदार !! वहशी ने किया शिकार ! हद कर दी सारी पार !! श्रद्धा की श्रद्धा से खिलवाड़ ! नरभक्षी निकला प्यार !! माँ बाप नहीं होते बेकार ! माँ बाप ने देखा संसार !! वहशी ने किया शिकार ! हद कर दी सारी पार !! इंसानी खाल में छिपा शैतान ! देखकर हुए सब हैरान !! दरिंदगी की सभी हद कर दी पार ! ऐसा निकला वो ग़द्दार !! वहशी ने किया शिकार ! हद कर दी सारी पार !! हिंदू देवी देवताओं को जो देते गाली ! आफ़ताब ने ऐसी यारी पाली !! कटे अंग करते फ़रियाद ! हे कल्कि तू ले ले अवतार !! वहशी ने किया शिकार ! हद कर दी सारी पार !! वहशियों के क्यों बढ़ रहे हैं हौसले ! शायद सिस्टम हैं हमारे खोखले !! कानून का कब तक होगा बलात्कार ! क्यों मूक - बधिर है सरकार !! वहशी ने किया शिकार ! हद कर दी सारी पार !! बिस्तर तक ही सीमित होना ! प्यार का ऐसा रूप घिनौना !! निर्भया भी अब गई है हार ! कब ख़त्म होगा यह अत्याचार !! वहशी ने किया शिकार ! हद कर दी सारी पर !! प्रथम पृष्ठ फिर अंतिम पृष्ठ ! अखबारों की रद्दी में होते रोज़ दफ़न !! इन किस्सों से ही सजता अख़बार ! तभी तो बिकता यह अख़बार !! वहशी ने किया शिकार ! हद कर दी सारी पर !! विपिन बंसल