संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक लोगों के लिए प्रेरणा से भरपूर मेरी कविता जिसका शीर्षक ऊपर दिया हुआ है। 7161 1 5 Hindi :: हिंदी
मन वीणा के तार है, रखूं मध्य में साज। गीत प्रेम का मैं सुनूं,कायम रहता राज।। मन वीणा के तार सा, उड़े फिरे यह तेज। रखता हूं सम्हाल कर,खुशबू मय हो सेज।। मन वीणा के तार है,अद्भुत इनके चाल। मन से राजकुमार हूं, रहे कांत में भाल।। मन वीणा के तार है,वश में रखना काम। करता इसे निराश मत,फिर खिलते हैं नाम।। मन वीणा के तार है, मिले सदा संगीत। जीने का हो जब हुनर,रहता सदा अजीत।। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
9 months ago
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....