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संविधान-संविधान बदलने की तुम सोचो सोच आपकी तो लाजबाव है

Alok Vaid 21 Oct 2023 कविताएँ समाजिक संविधान कविता 4277 0 Hindi :: हिंदी

संविधान बदलने की तुम सोचो
सोच आपकी तो लाजबाव है
क्या तुम भूले बैठे हैं सबको
करोड़ों की आत्मा का सवाल है
चंद्रशेखर अभिषेक जाटव सतपाल तंवर
कठोर संघर्ष है योद्धाओं का जो बेमिसाल हैं
छोटे बड़े और बेसहारों की
यहां तो ताकत बेमिसाल है
संविधान गया आत्मा जाएगी
बाबा साहब की आत्मा का सवाल है
चुप क्यों बैठें हम भीम दीवाने
दलितों की जिंदगी का सवाल है
हर बार घटिया सोच है आपकी 
क्यो करती है यूं परेशान
दो वक्त की रोटी खाकर साहब
आत्मा ना बेचने का सवाल है
संविधान बदलने की तुम सोचो
सोच आपकी तो लाजबाव है
क्या तुम भूले बैठे हैं सबको
करोड़ों की आत्मा का सवाल है
चंद्रशेखर अभिषेक जाटव सतपाल तंवर
कठोर संघर्ष है योद्धाओं का जो बेमिसाल हैं

🖊️🖊️....आलोक वैद "गौतम"
M.A / LL.B

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