Ujjwal Kumar 13 Nov 2023 कविताएँ धार्मिक 10568 0 Hindi :: हिंदी
ना अब कोई सीता है ना लक्ष्मण जैसा भाई बचा ना सत्युग जैसा राम कोई पर रावण बन बैठे हैं आज सभी अपना परिवार भी पराया अब तो यहाँ हो गया इंसा तू तो गलत राह पूरी तरह खो ही गया अपने माता पिता ही अब बुरे लगने लगे छोड़कर वृद्ध आश्रम तुम भ्रमण को चले सदा सेवा करते रहे अब श्रवण जैसा बेटा नहीं ना सत्युग जैसा राम कोई पर रावण बन बैठे आज सभी रचनाकर-उज्ज्वल कुमार