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तुम वीर हो 🚩

Sunil suthar 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मोटिवेशनल वीर रस कि कविता 🙏 15461 0 Hindi :: हिंदी

तुम वीर हो...

न मानो तो तुम कायर, तीर हो,
तुम मानो तो विश्व की तस्वीर हो,
तुम वीर हो  राजवीर हो...

सब कुछ बिखरा है इधर उधर,कई किरदार छूटे है अधूरी कहानियों मे,
खुद को ढूंढना है अपनी जिंदगानी मे,पल-पल यू ना तुम तरस खाओ,

न मानो तो तुम कायर, तीर हो,
तुम मानो तो विश्व की तस्वीर हो,
तुम वीर हो  राजवीर हो ||

पहाड़ो की चोटी छूना है, कठिनाइयों  से रास्ता खोजना है,
फौलाद बन मिटा दो अपनों की दरार, इन ठोकरों की आड़,
मुस्कुराकर अपनी पीड़ा को सुला दो, सिकवे गिले सब को भुला दो,

न मानो तो तुम कायर, तीर हो,
तुम मानो तो विश्व की तस्वीर हो,
तुम वीर हो  राजवीर हो ||

रूकावटों को हटा, रास्ते फिर से बना लो,
देश की संस्कृति बस यू ही सवार दो,अपने बगीचे को फूलों से बहार दो....
उड़ रहा है वक़्त झोंको से, तुम चलों अपनी ही धुन मे,
देर अच्छी नहीं होती अच्छे वक़्त के लिए,
चाँद भी निकलता है रात अंधेरें मे,

न मानो तो तुम कायर, तीर हो,
तुम मानो तो विश्व की तस्वीर हो,
तुम वीर हो  राजवीर हो ||

सूरज की किरणों के पथ से काले-काले आवरण हटा दो,
सहज हो गया गति के, नदियों के तुम आर-पार  हो जाओं,
दाएँ -बाएँ से गूज उठी आवाज, अब "सुनिल" खुद का तेवर बढ़ा दो,
घिरने गिरने के तरल रहस्यों की अदृश्य तुम शक्ति बना लो,

न मानो तो तुम कायर, तीर हो,
तुम मानो तो विश्व की तस्वीर हो,
तुम वीर हो.. राजवीर हो ||

                                                                         लेखक :- सुनिल सुथार

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