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बनकर तेरी आंगन की चिड़िया-तेरा अंगना गुहारुगी मां

Chanchal chauhan 07 Jul 2023 कविताएँ अन्य 5741 2 5 Other :: Other

बनकर तेरी आंगन की चिड़िया,
तेरा अंगना गुहारुगी मां,
बनकर फूल महक फैलाऊगी मां ,
मुझे आने दो ज़मीं पर,
मैं भी पंख फैलाऊगी मां,
बाबू की सेवा,
घरवार सांवारुगी मां,
बढ़ाऊगी मान सर ऊंचा उठाएगी मां,
ना मारो बेटी समझकर कोख में,
मुझको भी बाहार आने दो मां,
मां ही समझसे सब दर्द,
मेरा भी समझो मां,
बेटा ही क्या देगा रोटी,
क्या बेटी नहीं देगी मां,
हर फर्ज निभाऊंगी,
एक बार आजमाकर देखना मां,
पैरों पर खड़ी हूंगी अपने,
किसी से कुछ ना मांगूगी मां,
चिंता ना करना सादी की,
इतना कमाऊंगी मां,
ना बोझ बनूंगी किसी पर,
ना नजरों में गिरुगी मां,
अत्याचार ना सहूंगी किसी का,
आवाज उठाऊगी मां,
वादा हैं तूझसे मेरा,
तेरा साथ निभाऊंगी मां,
उठादो एक कदम अब तुम भी,
मुझे ना मरने देना मां,
मैं भी खोलूं इस संसार में आंखें,
मैं भी देखूं ये सुन्दर जहां,
सुन्दर कितनी हैं प्रकृति,
फूलों ,झरनो का मेल यहां।

Comments & Reviews

Chanchal chauhan
Chanchal chauhan Bhut acchi kabita

8 months ago

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Chanchal chauhan
Chanchal chauhan Nice

8 months ago

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