SACHIN KUMAR SONKER 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य महामारी कोरोनावायरस GOOLE 46739 0 Hindi :: हिंदी
शीर्षक (महामारी कोरोनावायरस) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) एक आपदा ऐसी आयी सारी दुनियाँ चीख़ी चिल्लाई। चारों तरफ़ थी चीख़ पुकार लोगों में था हाहाःकार।। लोगो में इसकी खौफ थी चारो तरफ फैली मौत थी। किसी ने अपनी माँ को खोया तो किसी ने पिता की चिता जलायी। हम सब ने लड़ी बड़ी लड़ाई कोई जिन्दगी की जंग हार गया। तो किसी ने मौत पर विजय पायी।। कोई अपनों से बिछड़ा तो किसी ने अपनी नौकरी गवायी। कैसी थी विपदा ये आयी ले गई हमारी सब गाढ़ी कमाई। मज़बूरी थी बाहर जाने कि रोजग़ार सब छोड़ के आने की। भूखे प्यासे रहते थे पैदल- पैदल चलते थे। हमको तो वापस आना ही था अधूरी पड़ी ज़िम्मेदारी निभाना ही था। रोगी की संख्या ना पूछो जितने पड़े थे अस्पताल में उससे कहीं ज्यादा खड़े थे कतार में। खाँसना छींकना माना था, पर जिधर भी देखो उधर सब इससे ग्रसित पड़ा था। हवा भी ज़हरीली थी जिधर भी देखो मुँह खोले मौत खड़ी थी। जिंदगी से ये हमारे ऐसे चिपका अभी तक ना इससे पीछा छूटा। बार-बार ये लौट कर आता है हम सभी को डराता है। इस समस्या का उचित समाधान है करना, हम सब को इससे मिल कर है इससे लड़ना। इससे बचने का उपाय है करना, उचित दूरी बनाये रखना और हाथ मुँह धोते रहना। हर बार ये नाम बदल-बदल कर आता है सारी दुनिया को डराता है। नाम बदलने में क्या रखा है पर इसको कौन समझाइये। जिसने अपना नाम कभी अल्फ़ा तो कभी बीटा रखा है।।