संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4730 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद शेखी रहे बघार जो,सुनिए यह मधु ज्ञान। औरों पर भी ध्यान दें,रखे खुदा तब मान।। रखे खुदा तब मान,आस सब पूरे करते। खुशियाँ मन में खास,दिव्य उलफत तब रहते।। रहे नजर में नाज,रोशनी नव अब देखी। जीवन है गुलजार,खत्म वह झूठी शेखी।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....