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धीरे धीरे एक दिन- होगा बम विस्फोट बढ़ता यहां अधर्म से अच्छों में भी खोट

संदीप कुमार सिंह 07 Oct 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 12054 0 Hindi :: हिंदी

#विधा:_दोहा छंद
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत"
धीरे धीरे एक दिन,होगा बम  विस्फोट।
बढ़ता यहां अधर्म से,अच्छों में भी खोट।।

धीरे धीरे एक दिन,होगा सब कुछ नाश।
यहां मतलबी हैं सभी,देखे यह आकाश।।

धीरे धीरे एक दिन,होंगे सभी निराश।
क्योंकि सत्य का ह्रास है,जिससे लगते लाश।।

धीरे धीरे एक दिन,सब में होगा जंग।
लड़ लड़ कर ही सब मरे, शिल्पकार भी दंग।।

धीरे धीरे एक दिन,सभी करे अति भोग।
सब सब से ही कर घृणा,पाले मैं का रोग।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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