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ये ज़िस्म नहीं तुम्हारा खुली हुई एक किताब है "दास्ता"

Mukesh Namdev 30 Apr 2023 शायरी प्यार-महोब्बत 5712 0 Hindi :: हिंदी

"दास्ता"
"ये ज़िस्म नहीं तुम्हारा खुली हुई एक किताब है 
हर पन्ने पे लिखी,हर एक ज़िस्म की एक अलग दास्ता 
कोशिश कर रहा हूँ,तुम्हारी इस किताब को पूरा करने का 
मगर हर बार दिल करता है,चूम लूँ तुम्हारी किताब के हर एक पन्ने को"
                       #Mukesh Namdev

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