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मैं नारी हूँ , मैं नहीं हूँ अबला

Manju Bala 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मैं नारी हूँ , मैं नहीं हूँ अबला चर्चा प्यार दिल दोस्त शादी मोहबत दौलत नेगाहे मित्रता दिल्लगी दास्ताँ 89221 0 Hindi :: हिंदी

                                            मैं  नारी हूँ , मैं नहीं हूँ अबला 
मैं  नारी हूँ , मैं नहीं हूँ अबला मैं हूँ सबला |
क्यों मुझे अबला कहा जाता रहा ,
क्यों हूँ मैं अ  बला  मैं हूँ सबला |
अबला मतबल जिसमें कोई बल नहीं ,शक्ति नहीं .
मुझ में तो शक्ति है पुरुष को पैदा करने की 
हर युग में मुझे ही परिताड़ित किया जाता रहा 
मैं  नारी हूँ , मैं नहीं हूँ अबला मैं हूँ सबला |
क्यों सीता को ही अग्नि परीक्षा देनी पड़ी 
क्यों भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण हुआ
क्यों ज़हर का प्याला मीरा को ही पीना पड़ा 
और क्यों एक साथ दस हजार औरतों को जौहर करना पड़ा 
मैं  नारी हूँ , मैं नहीं हूँ अबला मैं हूँ सबला |
 हर युग में क्यों मुझे ही ज़लील किया गया 
चाहे फिर वह युग हो द्वापर या फिर युग हो त्रेता
 हे ! पुरुष  प्रधान समाज  क्या में अबला हूँ ?
क्या मैं सिर्फ भोग की वस्तु हूँ 
क्यों मेरे टुकड़े कर रखा जाता है मुझे  फ्रिज मैं ,
क्या मुझे अच्छा पहने और अच्छा दिखने का भी अधिकार नहीं 
परेशानी मेरी पोशाक में नहीं ,परेशानी तुम्हारी दूषित 
और सड़ी हुई मानसिकता  में हैं |
हे ! पुरुष प्रधान समाज  नारी नहीं में अबला 
अबला कह कर मेरे बल की परीक्षा मत लेना 
मैं नारी हूँ ,मैं शक्ति हूँ ,मैं भक्ति हूँ , मैं काली हूँ |
मुझे सताया गया  द्वापर, त्रेता हर युग में 
प्रेमचंद्र जी क्यों लिखा आपने यह ,
नारी तेरी यही कहानी ,आँचल में दूध आँख में पानी 
क्यों नहीं लिखा आपने मुझे सबला 
मैं नहीं नीर भरी दुःख की बदली
मैं  नारी हूँ , मैं नहीं हूँ अबला मैं हूँ सबला |
 

  

 


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