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मेरी कलम से

Trishika Srivastava 30 Mar 2023 शायरी अन्य साल का आखरी दिन है / सुलगते रिश्ते / हमारे बीच अब क्या है / मोहब्बत हो तो 88860 0 Hindi :: हिंदी

(1). साल का आखरी दिन है 
तुमसे मिलना ना-मुमकिन है
दो-चार बरस और अभी
हमें जीना तुम्हारे बिन है 

(2). सुलगते रिश्ते 
जल कर राख हो जाएँगे
वो हमसे नफ़रत करते-करते
इक दिन ख़ाक हो जाएँगे


(3). हमारे बीच अब क्या है 
बस नफ़रत की नदिया है
इक दूजे में नज़र आतीं
अब हमको बस कमियाँ हैं

(4). मोहब्बत हो तो 
सारी दुनिया जन्नत लगती है
हर मौसम हँसी लगता है
हर  शै  खूबसूरत  लगती  है

(5). भरोसा करना सीखो
मगर आँखें खोल कर
लोग अंदर से वर करते हैं
ज़ुबाँ से मीठा बोल कर

(6). भटकने का दौर नहीं रहा
अब दौलत कमाने की उम्र है
क्योंकि गरीब होना भी
इक बहुत बड़ा ज़ुर्म है 

— त्रिशिका श्रीवास्तव ‘धरा’

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