Ranjana sharma 27 Oct 2023 ग़ज़ल दुःखद मैं और मेरी तनहाई #Google# 5371 0 Hindi :: हिंदी
मैं और मेरी तनहाई मेरे साथ रहती है भीड़ से कोसों दूर मेरी दुनियां बसती है दर्द में अकेले ही रो लेती हूं होठों को कभी -कभी गीतों से सजाती हूं जहन में कोई पल खुशी के आ जाए तो मुस्कुरा भी लेती हूं कुछ अनोखी और अजीब सी है मेरी जिंदगी की दास्तां बयां किसी साथ करना भी नहीं चाहती हूं जिसको अपना दोस्त बनाया वो दोस्त से बढ़कर बनना चाहा इसलिए पत्थर दिल बनना चाहती हूं खामोशी को ही मैंने अपना हमदम और हमसफ़र बना ली हूं दिल की बात दिल में दबा ली हूं अधूरी थी ,अधूरी ही रह गई पहले तो कभी जी लेती थी अब तो जीना ही भूल गई हूं अब साथ किसी का पाना ऐ आस अब छोड़ दी हूं मजबूरियों का फायदा कुछ लोग उठा लेते हैं ,इसलिए गम बांटना अब छोड़ दी हूं अब तो खुद ही बिखरती हूं और खुद ही संभल जाती हूं भरोसा टूटने का दर्द झेल ली हूं इसलिए अब अजनबियों पे भरोसा करना छोड़ दी हूं धन्यवाद