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सफर

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग सफर 24886 0 Hindi :: हिंदी

कोई तो नाम दो इस चुप्पी को 
अंतिम सफर है मेरा इस मजलिस में 
कोई तो पैगाम दो इस दीवाने को 
सायद अब न मिले इस तरह अंजुमन में 

ये आखरी पड़ाव है जीवन के दहलीज़ पे 
मेरी इश्क़ मोहबत प्यार मेरे हमदम 
कोई तो निशानी दो इस अंतिम बिदाई में 

मैं तो जा रहा हूँ  तुझे अब अकेला छोड़ के 
एक दिन तू भी जरूर आएगा मेरी आगोश में 
उस दिन सायद मैं ना रहु तेरा इंतजार में 
फिर कौन पूछेगा कौन चाहेगा मेरे अगेंस में

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