Bhagyashree Singh 11 Apr 2023 कविताएँ समाजिक #जीवन चक्र #जीवन के फलसफे #लेखन शैली#प्रारम्भिक काव्य लेखन #लाइक #शेयर #कमेंट 8490 0 Hindi :: हिंदी
जीवन चक्र जीवन के इस जलवान में, सैलाब दुखों का तो , कही सुखों का मेलाब है, कही है संघर्ष हर क्षण में, तो कही नियति में विश्राम है, धन की लालसा है जन में इतनी, कि रिश्तेदारो से हर बात पर तकरार है, आ गई है दूरियां दिलों में इतनी, कि पास होने पर भी दूरियां बरकरार है, रिश्तों में बंधकर भी कोई खुश नही, तो कही दूरियों में भी एतबार है, तो पर्याप्त है, धन सुख चैन सभी, तो कहीं अंतर्मन में अंधकार है, सृष्टि है बदली, पर हम परिवर्तित कितने, इसका क्षण भर न किसी को आभास है, हैं बात सिर्फ मिलती विचारधाराओं की , जो लाती गैरो में भी आपसी विश्वास है, यह ना केवल तकदीरो का, वरन उन पीढ़ियों का आगाज है, जो अपने जीवन में मशगूल हैं इतने, कि न किसी से कलमा, न किसी से साज है, रिश्तो के बंधन में जहां लगेंगी बेड़ियां, विवश रिश्तों को निभाने में भी अड़चने आयेगी, ना जाने जन की वृद्ध अवस्था, एकांतपन में किस तरह गुजर पाएगी, जिंदगी में की गई भूल का आभास उन्हें सोने नही देगा, पर यह सच है कि यही आभास जो पास है उसी खोने नही देगा। मेरी कलम से भाग्यश्री सिंह 🖊️
मेरा नाम भाग्यश्री है, मैं एक स्नातकोत...