संदीप कुमार सिंह 09 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 9897 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) मुश्किल जब हो सामने,ढूंढे सभी बचाव। प्यास न जाने जात को,करे न भेद अलाव।। इश्क कभी हो जाय जब,देखे कभी न रंग। प्यास न जाने जात को,जीने का यह ढंग।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....