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जान से भी प्यारा दोस्त-जान छिड़कती थी

Ruby Gangwar 20 Feb 2024 कविताएँ दुःखद दोस्त, जान से भी ज्यादा, जान छिड़कती थी, जान से भी ज्यादा 16632 0 Hindi :: हिंदी

मेरे पास एक दोस्त था जान से भी प्यारा,
जान छिड़कती थी उस पर परिवार से भी ज्यादा,
जब वो साथ था तो गुलज़ार थी दुनिया हमारी,
न रात का पता चलता था न दिन का,
कब गुजर जाता था समय हमारा,
अनजान थी इस बात से कि धोखा हो रहा है साथ हमारे,
वो जाना चाहता था दूर छोड़कर मुझे,
इस बात की भनक भी न लगने दी उसने मुझे,
जब पता लगा था इस बात का मुझे,
रोकना तो चाहती थी जाने से उसे,
अब फ़ायदा नहीं था रोकने का उसे,
क्योंकि दूर जा चुका था अब वो छोड़कर मुझे।।

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