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गरीब वर्गीय परिवारिक जीवन

Anonymous 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद 39262 1 5 Hindi :: हिंदी

एक गांव में एक गरीब परिवार रहता था उस परिवार में पति पत्नी और उनके तीन बच्चे थे घर के मुखिया अपने परिवार को चलाने के लिए एक छोटा सा पान की दुकान चलाया करते थे उसी पान की दुकान से परिवार का पालन पोषण करते थे अपने सभी बच्चे को पढ़ाने के लिए खाना तक नहीं खाते थे लेकिन बच्चे को पढ़ाते थे। पुत्र सबसे बरा सन्तान था, पुत्री दोनो छोटी थी।ऐसे ही कुछ दिन गुजरता गया उनकी पत्नी की जो छोटी बहन थी वह उनकी छोटी पुत्री को अपने पास ले गयी और उसका भरण पोषण वही करने लगी इस परिवार में 4 लोग बचे थे वह अपने पास जो संतान जो रखे थे पुत्र पुत्री दोनों पढ़ने में तेज थे ऐसे दिन बाद उनके पुत्र ने नवोदय की परीक्षा दी उन्होंने नवोदय में अच्छे अंक से प्रथम कोटि से पास किया लेकिन वह अपने पुत्र को नवोदय स्कूल में नहीं जाने दिए क्योंकि नामांकन का चार्ज बहुत ज्यादा था वह यह रकम को नहीं बढ़ सकते थे कुछ दिन बाद उनके पुत्र ने नवम वर्ग मे गया उनके पास पढ़ाने के रुपए नहीं थी जैसे तैसे अपने बच्चों के लिए जुगाड़ करते थे उनके घर के बगल में एक शिक्षक थे उनसे उन्होंने बात किया उन्होंने कहा मैं हर बच्चे से 500 लेता हूं आप 150 दे देना उन्होंने अपने बच्चे का नामांकन कराया।

जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था उनकी कठिनाई और बढ़ती जा रही थी उनकी पत्नी का भी अगल-बगल वालो  से कर्ज लेकर घर का परिवारिक पालन पोषण करती थी उनकी पत्नी की बहन बहुत ज्यादा मदद करती थी उनके पुत्र की दशम कक्षा में पंजीकरण का रुपया नहीं था इस कारण घर के लोग परेशान थे फिर उनकी पत्नी ने अपनी बहन से मदद मांगी फिर अपने पुत्र का पंजीकरण कराया उनके पुत्र पढ़ाई के साथ एक्स्ट्रा एक्टिविटीज करता था परीक्षा देने के बाद परिणाम आया तो उसके पुत्र द्वितीय स्थान प्राप्त किए ऐसे ही समय बिता गया उनकी पुत्री भी उच्च शिक्षा प्राप्त की योग हो गई थी कुछ दिन बाद उनके पुत्र 12वीं कक्षा की परीक्षा दिया उस में प्रथम स्थान प्राप्त किया परिवार के लोग बहुत खुश थे कुछ अगल-बगल के ईष्यालु  व्यक्ति चलते थे कि ये परिवार इतना कुछ कैसे करती है कुछ दिन बाद इनके पुत्र ने मीडिया एसोसिएशन के जिला प्रभारी नियुक्त किए गए सभी ने उनके पुत्र का मजाक उड़ा रहे थे उनके घर के लोग कहते थे बड़े सपने मत देखो हम गरीब हैं लेकिन उनके पुत्र चुपचाप अपना काम करता रहा कुछ दिन अच्छे काम करने से उनके राज्य प्रभारी बना दिया गया।

कुछ दिन बीते उनके बेटे को लोग जाने लगे लेकिन उनके घर जैसा था वैसा ही था जो घर के मुखिया जी वह चार भाई थे उनके बड़े भाई से जमीनी बिबाद हुई कुछ दिन बाद उनके पुत्र ने उन्हें राजनीतिक पार्टी से टिकट लेकर विधायक चुनाव लड़ने को तैयार किया लेकिन उन्होंने चुनाव नहीं जीता लेकिन उनके जो पहले लोग लड़ाई गाली गलौज करते थे सभी ने इज्जत करने लगे लेकिन इनके पास रुपए नहीं था ऐसे कुछ दिन बीता उनके पुत्र ने उनको पार्टी में सम्मानित पद दिलाया घर कुछ दिन बाद घर में जमीनी विवाद हुई पुलिस कार्रवाई की गई एक दूसरे पर इनके पास रुपया नहीं था घर के मुखिया के बड़े भाई ने थाना में रुपए जा कर देता था यह थाना में कहते थे कि मैं गरीब हूं मुझे न्याय चाहिए लेकिन पुलिसकर्मी नहीं सुनते थे  कुछ दिनों के बाद उनके पुत्र ने बड़े अधिकारियों को फोन किया और सारी घटना बताई उन्होंने बिना रुपए के न्याय दिलाने का काम किया ऐसे कुछ दिन और बिते उनके पुत्र का नामांकन दिल्ली विश्वविद्यालय में हुआ बगल के एक भाई ने उनके गरीबी को देखकर घर के मुखिया से बात कर उनके पुत्र की नौकरी की बात की उनके पुत्र की नौकरी के बारे में बात की थी घर में रुपए की जरूरत थी बहुत खुश हो चुका था और उनकी पुत्री भी उच्च शिक्षा के योग हो गए थे उनके पुत्र नौकरी करने को थाना और दिल्ली आए उन्होंने एक नौकरी लगाई उस कंपनी के द्वारा वह कोलकाता भेजे गए कुछ दिन वहां काम किया और बहुत मेहनत से काम करता रहा  कुछ दिन बाद बहुत उनके पुत्र ने बड़े मुकाम को पा लिया

मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती है

 

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