Maushami 09 May 2023 कविताएँ समाजिक बेटी # घर # सुख#समृद्धि 5795 0 Hindi :: हिंदी
बेटी बेटी है खुशियों की पेटी, बाबुल के घर चिड़ियों सी चहकती, कभी बन भाई की बहन महकाती घर उपवन। सभी के मनों में बसती, कभी हंसती कभी हंसाती सब कुछ चुपचाप है सहती। बेटी जब बहु है बनती, पीहर को भूल नए घर और लोगों को अपनाती, सबकी खातिर अपना सुख चैन है तजती, बेटी जब स्वयं माँ है बनती, अपनी गोदी में जब देखती अपनी बेटी खुशियों से झूम है उठती। उसे वह सशक्त बनाती, शिक्षा दीक्षा से परिपूर्ण बन माता का कर्त्तव्य निभाती, पर आज भी अपनी माता के समक्ष वह है नन्हीं सी प्यारी बेटी।