संतोष सिंह क्षात्र 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #क्षात्र_लेखनी© #काव्य_विथिका #kavishala #अधर #प्रियतम #समय_का_प्रणय #प्रेमिल #ठसक #प्रेम_की_छुअन #प्रक‌ति_का_उत्सव #दिनकर #बसंत #रंगरेज #रचना #अंजुली_और_रंग #Poem #Love #काव्यांश #हिन्दी_शब्द #कवि_सम्मेलन #स्वरचित #फागुन_बहार @Drkumarvishwas @SantoshKshatra 12803 0 Hindi :: हिंदी
केसरिया रंगने को दौड़े ढुलमुल बढ़े दिवाकर चांदनी लजायी, हुआ गगन नारंगी मुस्कायी रश्मि, सिंदूरी दुकूल ओढ़ाकर।। प्रकृति मनमोहे बहुतेरे रंग , पल-पल निहाल, रंग लगाकर। पलास-गुलमोहर और गेंदा रंगे , भींगे बदरा धरा को गले लगाकर।। रंग अंजुली में भरे दिवाकर हर्षित हैं संग ऋतुराज का पाकर। पगडंडी को करके सराबोर उछले जन-जंगल को नहलाकर।। हुलयारे बन बनाकर टोली खेत-खलिहान अरू कोटर में जाकर। रंगे फिर करते ठिठोली प्रीत फागुनी गीत सुनाकर।। थमे न पछुआ का हुड़दंग मगन बागियों में आकर। घेर-घेर बहुरंग कर दे घर-घर ड्योढ़ी पर जाकर।। #क्षात्र_लेखनी© @SantoshKshatra