संदीप कुमार सिंह 29 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5924 0 Hindi :: हिंदी
मानव की पहचान है, मानवीय गुण पास। मानवता भूलें नहीं,लगिए सबको खास।। मानव की पहचान है,कभी कभी हो क्रोध। पर हद में रहिए सदा, मिले नहीं अवरोध।। मानव की पहचान है,मददगार बन आप। लोगों के दुख में रहें,करिए कभी न पाप।। मानव की पहचान है,मधुर मधुर कर बात। जो जन दूजे की व्यथा,रखे भाँप कर नात।। मानव की पहचान है,रहिए सदा विनीत। मनुज जन्म को सफल कर, सुनिए मृदु संगीत।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....