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जनसंख्या को बढ़ावा

Pinky Kumar 22 Apr 2023 आलेख समाजिक 7607 0 Hindi :: हिंदी

जब मेने न्युज देखी तो मुझे लगा कि क्यों ना जनसंख्या पर और लिखा जाए। कि किस प्रकार हमारी सरकार जनसंख्या को बढ़ावा दे रही है। और हम उनकी बात  मान भी रहे है। खास कर वह लोग जो ज्यादा बच्चे पैदा करने पर विश्वास रखते है। हमारे देश के धर्मामिक गुरुओं का कहना है हिन्दु धर्म बचाने के लिए ज्यादा बच्चे पैदा करे भले ही वह खुद सन्यासी हो भले ही उन्होंने ने भारत कि जनसंख्या बढ़ाने बच्चा पेढ़ा ना करके जनसंख्या मे योगदान ना दिया हो पर उनका कहना है। कि बच्चें ज्यादा से ज्यादा पैदा करे जाने चाहिए में कहना चाहती हुँ कि उन बच्चों कि रोजगार कि गांरटी कौन लेगा देश कि गरीबी खत्म करने का जिम्मा  कौन लेगा उनकी भुख का जिम्मा कौन लेगा उनकी शिक्षा का जिम्मा कौन लेगा सरकार जिम्मा ले कि हर परिवार को 20 किलो राशन कुछ ज्यादा दे क्योंकि पैदा होने वाले बचे क्या खायेगे उनको जिने के लिए तो कोई मापदण्ड होना चाहिए 
कोई धर्म गुरु कहता है। कि 4 बच्चे पैदा किये जाने चाहिए कोई कहता है। कि 10- 10 बच्चे पैदा किए जाने चाहिए में उन लोगों से कहना चाहती हुँ कि क्यों ना आप अपने धर्म ग्रन्थों का प्रचार करके आज कि युवा पिढ़ी को सही मार्गदर्शन करे उन्हें अपने धर्म ग्रन्थो के बारे में बताएं जिस तरह से आज के युवा अपने धर्म ग्रन्थों से दुर अपने धर्म से दुर होते जा रहें उनकों बचाया जाए पहले इस पढ़ती जनसंख्या को तो बचाले डुबने से फिर नई कि बात करना धर्म बच्चें ज्यादा पैदा करने से नहीं बचेगा बल्की उनकों अपने धर्म ग्रन्थों कि उचित शिक्षा देने से बचेगा आज का धर्म फोन कि फोटो और विडियों तक सिमित होगया लोग धर्म को इतना ही मानते है। कि हमारे फोटो और विडियों पर ज्यादा से ज्यादा लोग देखे और पैसे कमाए जाऐ यह है। आज के युवाओं का धर्म पहले इन्हें तो बचालों कहाँ जा रही है। आज कि युवा पिढ़ी रामायण को एक कहानी मानने लेगी है। गीता को सिर्फ दिखावे तक सिमित कर दिया गया है। गीता के नाम पर आज कि युवा पिढ़ी अपने ही तरफ से कुछभी ज्ञान दिए जारही है। जो कि गीता ग्रन्थ का अपमान है। धर्म के नाम पर हत्याएं  करी जा रही है। गला काटा जा रहाँ है। बोलो यह कौनसा धर्म है। कौनसा धर्म यह सिखाता है। पहले धर्म को तो बचालों फिर जनसंख्या बढ़ाने कि बात करना पहले आज कि युवा पिढ़ी को अपने धर्म ग्रन्थों के बारे पढ़ालो जागरूक करों फिर जनसंख्या बढ़ाने कि बात करना इंसान को इतनी शिक्षा लेलेनी चाहिए कि वह गलत और सही का चयन कर सके गलत होने से रोक सके और सही को बढ़ावा दे सके 
में पहले भी कह चुकी हु कि बढ़ती जनसंख्या सिर्फ बेरोजगारी, गरीबी, मंहगाई, और भुखमरी और अकाल को बढ़ावा देती है। आज हमारे हाथ से किसी गिरीब बच्चे भला नहीं हो सकता है  और चले जनसंख्या बढ़ाने यह एक तरह कि मुर्खता होगी अमीरो कि बढ़ती जनसंख्या मत देखो उन लोगों को देखों जिन्हे ठीक  से दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं है। फुट पात पर सोने को मजबुर है। इनकी जिम्मेदारी कौन लेगा समझों इस बात को
एक तरफ सरकार कहती है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून हो और दुसरी तरफ जनसंख्या बढ़ाने कि बाते कर रहें है। एक हाथ से तालि नहीं बजती

धन्यवाद

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