Mohammed fejaan 30 Mar 2023 शायरी समाजिक गूगल 11271 0 Hindi :: हिंदी
शायरी, नंम्बर 21 हर एक दरकत की शाका पर एक उल्लू नजर गड़ाए बैठा है। अजी जनाब हर एक दरक्त की शाका पर एक उल्लू नज़र गडाऐं बैठा हैं। और वो इसलिए बैठा हैं! नजर गड़ाऐं हुवे क्योंकि दुशमनों की गानड़ पर कब, जला हुवा तिर छोड़ना हैं! जलानें के लिए हाँ हा गानड़ा र हाँ....,, मोहम्मद फैजान सिद्धिकी हरियाण सी.टी पानीपत गांव नूवाला 25 फूटा रोट ईन्दा विहार कॉलोनी वार्ड न0 2,
I , am Mohammed fejaan my father name rais ahamad and mathar name vasila...