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अंतरिक्ष

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #अम्बेडकरनगर पोइट्री#Rambriksh kavita#antrikshper kavita#rambriksh Ambedkar Nagar#samajik kavita 52512 0 Hindi :: हिंदी

 कविता-अंतरिक्ष


                         आओ मन के अंतरिक्ष में
                         शैर कर लें। 
 चांद का शीतल प्रभा 
 चित् में पिरोए आज हम
 शांत कर चित् चेतना
 जगमग बनाए रात हम,
                       बन बैरी तम के गमों से
                       बैर कर लें,
                       आओ मन के अंतरिक्ष में
                       शैर कर लें। 

सूर्य का तेजस किरण
बन तेज भर ले प्राण हम
ओस आंसू सोख कर
दुःख का मिटाए शान हम,
                      भेद भाव का तोड़ बंधन
                      मेल कर लें
                      आओ मन के अंतरिक्ष में
                      शैर कर लें। 

 टूटते तारे क्षणिक
 मानो चमकते मोतियां
 नील अम्बर में किरण
 करती चमक अठखेलियां,
                     मन में मधुर चंचल चमक का
                     भाव भर लें
                     आओ मन के अंतरिक्ष में
                     शैर कर लें। 

घूम घूम घन घनेरे
रंगते रंगीन रंगोलियां
घड़ घड़र घड़घराती
चम चमचमाती बिजलियां
                     गोंद में खुशियां समेटे
                     प्रेम कर लें
                     आओ मन के अंतरिक्ष में
                     शैर कर लें। 

ग्रहों की दुनिया गजब
हैं धूमते आदित्य संग
बध बंधन में प्रेम के
हैं झूमते नित्य अंग अंग
                     भर रवि का प्रकाश खुद में
                     प्रीति कर लें
                     आओ मन के अंतरिक्ष में
                     शैर कर लें। 


न शुरू न अंत तेरा
न अंत है आर पार का
विस्तार भी अनंत है
अनंत रूप आकार का
                     आओ  सुविस्तार अपनी
                     कीर्ति कर लें,
                     आओ मन के अंतरिक्ष में
                     शैर कर लें। 






   रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर

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