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बेटी-जो माता पिता की आन हैं

Aarti Goswami 20 Jan 2024 कविताएँ दुःखद बेटी पर कविता, बलात्कार पर कविता 2006 1 5 Hindi :: हिंदी

"बेटी"
जो माता पिता की आन हैं 
हर घर का सम्मान हैं 
वो बेटी आज लाचार हैं 
कोई बेटी कोयले की भट्टी में जली
तो कोई किसी कुवे के अंदर मिली
जिस दिन बेटी की सांस छूटी
उस दिन परिवार की आस टूटी
क्योंकि सता तो हैं मोन बैठी
न्याय के लिए कहा जाए बेटी
न्याय की उम्मीद में जो बैठी
वो हैं हमारे देश की लाचार बेटी 
आज बेटी अपनी स्वतंत्रता मांग रही हैं
बदनामी और डर की बेड़ियों को तोड़
ब्लातकारियो की सजा मांग रही हैं 
सजा मिलने की उम्मीद में जो बैठी
वो हैं हमारे देश की लाचार बेटी 
बेटी अपने सम्मान के लिए रो रही हैं 
बेकसूर दर्दनाक मौत मर रही हैं 
आज बेटी अपना इंसाफ मांग रही हैं 
इंसाफ की उम्मीद में जो बैठी
वो हैं हमारे देश की लाचार बेटी 
इस आजाद भारत से बेटी
अपनी स्वतंत्रता मांग रही हैं 
आजादी के 76 वर्ष बाद भी
बेटी खुद को स्वतंत्र नहीं मान रही हैं 
अपनी स्वतंत्रता की उम्मीद में जो बैठी
वो हैं हमारे देश की लाचार बेटी 
             ~'आरती गोस्वामी'✍️

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Aarti Goswami
Aarti Goswami ✍️

2 months ago

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