Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

सपने हो गए राख-धुँआ- धुँआ सी जिंदगी हो गयी

Samar Singh 07 Jun 2023 गीत दुःखद जब वो ही नहीं तो फिर क्या सपने क्या ख्वाब और क्या जिंदगी? 5861 0 Hindi :: हिंदी

ख्वाब कुचल गए,
सपने हो गए राख। 
जब से तुझे बेवफा जाना, 
जिन्दगी हमारी हो गयी खाक।। 

धुँआ- धुँआ सी जिंदगी हो गयी, 
दिल में बरसातें, आँखें नम हो गयी, 
तेरा इंतजार करते- करते, राहें मेरी सो गयीं। 
न वो सावन आयेगा, 
न हरी- भरी होगी ये शाख। 
ख्वाब कुचल गए, 
सपने हो गए राख।। 

दिल तड़पता है, 
बार - बार कहता है। 
इस टूटे दिल में, एक तस्वीर बसती है, 
जब रूठ गए वो, ये जमाना भी हंसती है। 
जख्म भरने से रहा, 
चाहे मिले मलहम लाख। 
ख्वाब कुचल गए, 
सपने हो गए राख।। 

रचनाकार- समर सिंह " समीर G "

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

ये खुदा बता तूने क्या सितम कर दिया मेरे दिल को तूने किसी के बस मैं कर दिया वो रहा तो नहीं एक पल भी आकर टुकडें- टुकड़ें कर दिये ना विश्वा read more >>
Join Us: