Poonam Mishra 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक संध्या बेला जीवन की शाम में किया गया एक प्रयास 32757 0 Hindi :: हिंदी
मैं गांवपहुंचता हूं तो देखता हूं कि गांव में सब कुछ पहले जैसा ही है मेरा बचपन मेरे गांव में ही बीता मेरे माता पिता किसान थे हम दो भाई थे मैं सबसे बड़ा था मेरे माता पिता ने मुझे खेती करके पढ़ाया लिखाया मैंने भी अपनी पढ़ाई लिखाई में कोई कमी नहीं की बहुत मेहनत किया और एक बड़े पद पर नौकरी करने लगा मेरे माता-पिता को मुझ से बहुत उम्मीदें थी उन्होंने खेत गिरवी रखकर मुझे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए गांव से बाहर भेज दिया मैं उनकी आशा पर खरा उतरा लेकिन सभी जिम्मेदारियों को मैं पूरी तरह निर्वाह करता रहा कुछ समय पश्चात मेरी शादी हो गई मेरी पत्नी भी गांव की भोली भाली स्त्री थी और परिवार के सभी सदस्यों को लेकर चलने वाली मुझसे छोटा मेरा भाई जो कि सिर्फ मेरे ऊपर ही अभिमान करता था बचपन से ही उसका पढ़ाई लिखाई में बहुत मन नहीं लगता था मां-बाप हमेशा मुझसे कहते कि छोटू का ध्यान रखना बेटा मेरे ना रहने पर तू भी इसके सहारा हो क्या करें इसे तो इतना समझाते हैं फिर भी यह कुछ नहीं समझता छोटू जो की दौड़ के मेरे गले लग जाता कहता मेरा भाई अधिकारी है मुझे कुछ करने की क्या जरूरत मेरी हर आज्ञा का पालन करता मेरे हर सुख दुख में खड़ा रहता लेकिन अपना भविष्य नहीं बना पाया और ना ही कोई काम कर सका जब तक माता-पिता जिंदा थे खेती-बाड़ी से उसका परिवार चलता रहा परंतु माता-पिता के जाने के पश्चात उसकी 4 बेटियां दो बेटे हैं जिसकी जिम्मेदारी उस पर आ गई वह उन सब को पूरा करने में असमर्थ था धीरे-धीरे नशे का आदी हो गया लेकिन उसे आज भी मेरे ऊपर पूरा गुरूर था कि मेरा बड़ा भाई है वही मुझे देखेगा मुझे संभालेगा पूरे गांव में बड़े शान से बोलता कि मेरा भाई तो अधिकारी है इसलिए मुझे क्या पढ़ने लिखने की जरूरत है या मुझे कुछ भी करने की क्या जरूरत है मां-बाप जब तक है तब तक तो सब ठीक था परंतु माता-पिता के जाने के पश्चात मेरी पत्नी भी ......