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शबनम -मोती

Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक शबनम -मोती 11141 0 Hindi :: हिंदी

यौवन युक्त विभावरी, श्रृंगार करे रजनी रानी।
जूड़ा खोले, केश सुखाए, छिड़क गया अमृतपानी।
अल्हड़ बूंद नादान- सी, धरती पहुंच इतराती।
चमचमाती सबको भाती, छूने से कतराती।

आसमान से आ, अवनि का आंचल धोती।
ये, पल -दो- पल के मोती।
पल- दो- पल के लिए, पूरा समां ओस से नहाता है।
अरुण की आभा से, स्वर्ग लोक शर्माता है।
धरती रानी आज ओढ़ी, जड़ाऊ धानी -चूनर।
चमचम करते लाखों मोती, जड़ा है जिनको स्वयं पुरंदर।
अंबर निहारे, निहारे नात गोती।
ये, पल -दो- पल के मोती।
पत्तों पर शबनम दूर से, यतीम से कम नहीं।
हाथ लगा, छेड़ देखो, पानी होने का गम नहीं।
पल- दो- पल का जीवन, पल- दो -पल की कहानी।
पल -दो- पल के जीवन में, पीछे पड़े शायर,कवि, ज्ञानी।
धरती का श्रृंगार, सुंदरता की खुली पोथी।
ये, पल- दो -पल के मोती।
ये, पल- दो- पल के मोती।

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