Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

नकटा

Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक नकटा, बूचा 22947 0 Hindi :: हिंदी

न मानी की, न ज्ञानी की, न ही भगतों की।
ये दुनिया है, नकटों की।
नकटों के नकटे दोस्त, नकटों की जमात बड़ी।
सारे नकटे एक से, नकटे से नकटे की नज़र लड़ी।
एक स्कूल, एक पढ़ाई, एक लिपि एक बारहखड़ी।
बोल-मोल एक-सा, एक पासंग एक धड़ी।
नकटों की साख, साख कनकटों की।
ये दुनिया है, नकटों की।
दूसरों की उतारते फिरते, इनकी उतरी हुई है लोई।
खोने को कुछ पास नहीं, इनका क्या करेगा कोई।
इनकी हो तो कटे, सबकी नाक एक सोई।
ऐसा लगता है यह दुनिया, इन्हीं की जोती इन्हीं की बोई।
इंसानों की कम, पूछ मरकटों की।
ये दुनिया है, नकटों की।
एक नकटा सब पर भारी, अच्छाई आंखें मल रही।
सौ नकटों की एक खाक, अखंड जोत जल रही।
भलाई तो बिल में बैठी, जोत धूल रल रही।
कभी- कभी ऐसा लगता है, ये दुनिया नकटों से चल रही।
अच्छाई को मात, बात है लपटों की।
ये दुनिया है, नकटों की।
न ज्ञानी की, न मानी, न ही भगतों की।
ये दुनिया है, नकटों की

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: