आकाश अगम 30 Mar 2023 ग़ज़ल अन्य #Ghazal #Akashagam #kitnaronabakihai 11134 0 Hindi :: हिंदी
रो रो के जिये हैं आज तलक और कितना रोना बाक़ी है अच्छे के लिए होता है सब फिर कितना होना बाक़ी है। इस दुनिया में वो नीर कहाँ जो मन की प्यास बुझा देता सब कुछ पाने की चाहत में अब ख़ुद को खोना बाक़ी है। मेरे दिल में झाँकोगे तुम ये चाहत लेकर आये हो साथी क़ाबिल हो लेकिन बस आँखों को भिगोना बाक़ी है। जाने क्यों अक़्सर ये दुनिया लगने लगती है काँच मुझे टूटे सपनों के टुकड़ों को और कितना ढोना बाक़ी है। तेरे बिन प्रिय हर मौसम की अंदर जाकर हर साँस चुभी हम चैन की ख़ातिर जागे बहुत अब चैन से सोना बाक़ी है।