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गर्मी

Ritika prakash 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग गर्मी पर कविताएं 13751 0 Hindi :: हिंदी

हाय हाय रे गर्मी
कैसी है रे गर्मी
इतना तू चपाती है
बहुत दिनों बाद जाती है

तू तपती है या ना तपती
दूसरों के बदन में आग लगाकर जाती
देखा ना जाता तुझसे सुख
गर्मी में लगती है पेट में जोर से भूख
फिर हमें याद आता है आम
घर में मच जाता है कोहराम

मां बोली आम मिलेगा कल
आम है गर्मी का प्रतिफल
आज ना मिला तो कल मिला
पेट भरा तो बहुत बल मिला
मन भरा तो अब तू जा
हो सके तो बहुत दिनों बाद आ

अब हमें ठंडी में गन्ना खाना है
अबे ए गर्मी जाते-जाते नहीं शर्माना है
फिर तुझे बुलाओगी
जब घर में कूलर लगाऊँ गी।
पेट भरा तो बहुत बल मिला

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