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आंख न लग पाए

Sachin Kumar lodhi 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद आंख न लग पाए 19365 0 Hindi :: हिंदी

प्रियतम के विरह में, आंख न लग पाए
जब मेरे नयनजल शेय्या पर टपकत जाए है
अपने हृदय बूझना न पाऊं
प्रियतम के विरह में आंख न लग पाए 
सांझ सबेरे तन्हा सा अनुभूत करू
 नभ मंडल में नभचर को भी अन्नय पाऊं करू में कल्पना जब भी तेरी अपूर्ण पाऊं प्रियतम के विरह मे आंख न लग पाए आंखों के ख्वाब में लगन लगी ऐसी
 सागर के तीर पर पथिक की आसार प्रियतम के विरह में आंख न लग पाए 
जब भी बेंठू तरु के नीचे कुछ लम्हा सुध हो जाए जब करू में लेखन तब बीती वार्ता सुध हो जाए 
प्रियतम के विरह में आंख न लग पाए 
करू में ख्याल जब तेरा ठट्ठा आनन दिखता है
जब भी तेरी सम्मति आए सागर सा झलकत जाए।
हर पल हर लम्हा वस विचार तेरा आता है हर पल आस लगाए बैठा हूं मैं कब मिलने तुम आओगी
नयनजल रिक्त होता जा रहा वास्ता निर्वल होता जा रहा
करूं में चित्तन जब भी तेरा विशेष क्षण याद आ जाते हैं
फिर रोक न पाऊं खुद को में अश्रु की धारा बहती है 
आसार करूं में आसार करूं 
प्रियतम के विरह में आंख न लग पाए.......
 
सचिन

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