Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मौसम कोई भी हो संघर्ष रहा गहना

DINESH KUMAR KEER 24 May 2023 कविताएँ अन्य 5730 0 Hindi :: हिंदी

आदेश कहाँ...! प्रार्थना विनत करती थी, 
मैं भी ज्यों त्यों निज सुख ढूंढा करती थी,

मुझ जैसी भाग्य बली का भी क्या ही कहना, 
मौसम कोई भी हो संघर्ष रहा गहना,

सारे तप, त्याग, समर्पण, अर्पण जितने भी थे, 
तुम गुलाम की श्रेणी में रख भूल गए,

हममें-तुममें फ़र्क़ बना का बना रह गया, 
तुम जो भी बाहें पाए... बस झूल गए,

उधर प्रतीक्षा में हम गोधूलि से रात... 
रात से सूर्योदय काटे...
कैसे काटे मत पूंछो...
ख़ुद को कितनी करवट बांटे... 

और तुम...! तुम केवल अनुमान लगाकर रूठे हो, 
तुम वादों में, रिश्तों में सब तरह झूठे हो...

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: