Jeevan kumar 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद जीवन एक साहित्य 80254 0 Hindi :: हिंदी
छूत - अछूत का पता नहीं , न मित्र ने मुझे सिखाया , उस दो बूंद - छूत पानी ने , मुझे मौत के गले मिलाया । मुझे पता नहीं था ................. मुझे पता नहीं था, पानी मेरी मौत होगा, न लिखा उस घड़े पर, मेरी मौत का सौगात । !गर जीव हत्या घड़े से होती, तो न पिता जलपान, मुझे पता नहीं था...…............... मुझे पता नहीं था , घड़ा मेरी मौत होगा । तुम्हारा घड़ा छूत कहलाता, हम छूते अछूत हो जाता , मुझे पता नहीं था ..........…...... घड़ा तुम्हारा अमृत का झरना, अमृत पिओ इंसान कहलाता। मुझे पता नहीं था................... मुझे पता नहीं था घड़ा मेरी मौत होगा । ( जीवन)