Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य माया 97218 4 4.5 Hindi :: हिंदी
माया माया की इस नगरी में , सब माया से दूर हैं माया तो उस के पास, जिस के पास में माया हैं इस दुनिया में सबसे बड़ा ,माया ही तो छाया हैं जो माया को पाया, वो सबसे बड़ा कहाया हैं माया की इस छाया में, कोई किसी को न पाया जो पाया इस माया को, माया पति कहाया है माया हैं तो हम हैं,नही तो हम बेकार हैं माया ही तो माया हैं ,माया ही बस माया हैं माया तू ऐसी क्यों हैं जो तुझ में हैं सब समाया पर आज तुझको देख कर जीवन भी हैं सरमाया इसलिए तो कहते हैं माया ही सिर्फ माया हैं माया की इस दुनिया में सबको अकेला पाया हैं माया क्या तुम ने मायावी दिन दिखाए अपने रूप के जादू से क्या विश्व पर रोव जमाये माया माया सब करे माया मिली न राम माया माया ये माया तुम्हे सत:सत प्रणाम
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